Business
All Categories

ऐसे करें कटहल की उन्नत खेती 

ऐसे करें कटहल की उन्नत खेती 

May 11 2024

ऐसे करें कटहल की उन्नत खेती 

 किसान भाइयों कटहल को विश्व का सबसे बड़ा फल का सकते हैं एक बार लगाने के बाद इसका पौधा कई वर्षों तक पैदावार देता है सब्जी के रूप में खाने के लिए इसे बहुत पसंद किया जाता है हालांकि इसके पके हुए फल को भी खाया जाता है इसलिए इस फल और सब्जी दोनों कहा जा सकता है। कटहल की ऊपरी परत पर छोटे-छोटे काटे लगे होते हैं। कटहल में कई तरह के पोषक तत्व जैसे:- आयरन, कैल्शियम, विटामिन ए, सी, और पौटेशियम बड़ी मात्रा में भी पाए जाते हैं, जो कि मानव शरीर के लिए लाभदायक भी हैं। एक वर्ष में कटहल के पेड़ से दो बार फलों को प्राप्त किया जा सकता है। इस लिहाज से कटहल की खेती किसानों के लिए आय की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसकी खेती से किसानों को बहुत अच्छा मुनाफा होता है। कटहल कच्चा हो या पका हुआ, इसको दोनों प्रकार से उपयोगी माना जाता है, इसलिए बाजार में इसकी मांग ज्यादा होती है। इसकी बागवानी यूपी, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और दक्षिण भारत के कई राज्यों में होती है। दक्षिण भारत में विशेषकर महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल राज्य में इसकी खेती 3,000 से 6,000 साल पहले से की जा रही है। इन राज्यों में कटहल की फसल को सब्जी एवं फल के लिए बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। भारतीय कटहल का निर्यात अब विदेशों में भी होने लगा है। जिस वहज से कटहल की खेती करने वाले किसान वर्तमान में इसकी खेती से लाखों रूपये का हर साल मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। आपको बता दें कि कटहल बांग्लादेश और श्रीलंका का राष्ट्रीय फल है, जबकि भारतीय राज्यों केरल और तमिलनाडु में भी इसे राज्य फल का दर्जा दिया गया है।

  • वृक्ष के बारे में सामान्य जानकारी 

कटहल का पौधा एक सदाबहार 8 से 15 मीटर ऊँचा बढ़ने वाला, फैलावदार तथा घने छत्रक युक्त बहुशाखीय वृक्ष है, जो भारत का देशज हैं। कटहल या फनस का वानस्पतिक नाम औनतिआरिस टोक्सिकारीआ है। कटहल के पत्ते 10 सेमी से लेकर 20 सेमी लम्बे कुछ चौड़े, किंचित अंडाकार और किंचित कालापनयुक्त हरे रंग के होते हैं। कटहल में पुष्प स्तम्भ और मोटी शाखाओं पर लगते हैं। पुष्प 5 सेमी से लेकर 15 सेमी तक लम्बे, 2-5 सेमी गोल अंडाकार और किंचित पीले रंग के होते हैं। इसके फल बहुत बड़े-बड़े लम्बाई युक्त गोल होते हैं। उसके उपर कोमल कांटे होते हैं। फल लगभग 20 किलो भार वाला होता है। 

 

  • कटहल के वृक्ष की छाया में कॉफी, इलायची, काली मिर्च, जिमीकंद, हल्दी, अदरक इत्यादि की खेती की जा सकती हैं।   

उपयुक्त जलवायु, मिट्टी और तापमान

कटहल को किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन कटहल की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी को उपयुक्त माना गया है। इसके अलावा इस बात का विशेष ध्यान रखे की भूमि जल-भराव वाली न हो। इसके खेती में भूमि का पी.एच मान 7 के आस-पास होना चाहिए। अगर जलवायु की बात करें तो इसकी खेती शुष्क एवं शीतोष्ण दोनों जलवायु में सफलतापूर्वक कर सकते हैं, क्योंकि यह उष्णकटिबंधीय फसल का पेड़ है।इसलिए इसकी खेती के लिए शुष्क और नम, दोनों प्रकार की जलवायु को काफी उपयुक्त माना गया है। इसके पौधे अधिक गर्मी और वर्षा के मौसम में आसानी से वृद्धि कर लेते है, किन्तु ठंड में गिरने वाला पाला इसकी फसल के लिए हानिकारक होता है। इसके साथ ही 10 डिग्री से नीचे का तापमान पौधों की वृद्धि के लिए हानिकारक होता है। अगर आप कटहल की व्यापारिक खेती करना चाहते हैं, तो इस प्रकार की भूमि एंव जलवायु वाले क्षेत्र का ही प्रयोग करें।

  • पौधा कैसे तैयार किया जाता है? 

कटहल के पौधों की रोपाई बीज के रूप में की जाती है। बीजों द्वारा उगाये गए पौधों पर 5 से 6 वर्ष का समय लग जाता है। यदि आप कटहल के पौध को बीजों द्वारा तैयार करना चाहते हैं, तो उसके लिए आपको पहले पके हुए कटहल से बीज निकालने हैं। बीजों को निकालने के बाद इन्हें ज्यादा दिन के लिए ना रखे, हो सके तो इन्हें तुरंत ही मिट्टी में लगा देना चाहिए। पौध तैयार करने के लिए आपको गमला या पॉलीथिन बैग लेना है, गमला या पॉलीथिन बैग लेने के बाद आपको इसके अंदर 80 प्रतिशत सामान्य मिट्टी और 20 प्रतिशत पुरानी गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट मिलाकर इसे भर लेना है। इसके बाद कटहल में से निकाले गए बीज को लगभग दो इंच की गहराई में रोपाई करें। रोपाई के बाद इनमें नमी बनाये रखने के लिए पानी डालते रहें। यह बीज लगभग एक सफ्ताह में उगना शुरू हो जाते हैं। जब पौधों पर तीन से चार पत्तियां आ जाएँ, तो इनकी रोपाई तैयार खेत में की जा सकती हैं। कटहल के पौधों को बनाने के लिए दो विधियों को इस्तेमाल में लाया जाता है।

  • ग्राफ्टिंग विधि 

ग्राफ्टिंग या कटिंग द्वारा तैयार किये गए कटहल के पौधे पर लगभग तीन से चार साल में फल आना शुरू हो जाते है। कटहल की व्यापारिक खेती के लिए ग्राफ्टिंग विधि से तैयार पौधे का उपयोग करें। क्योंकि इस विधि से पौधे को तैयार करना बहुत आसान होता हैं। ग्राफ्टिंग विधि से पौध तैयार करने के लिए सबसे पहले आपको इसके बीजों द्वारा उगाया गया कटहल का पौधा लेना है। इसके बाद आपको एक बड़े कटहल के पेड़ की कटिंग लेनी है। कटिंग आपको लगभग तीन इंच की लेनी है। जिसकी मोटाई पेन्सिल की बराबर होनी चाहिए। कटिंग को लेने के बाद आपको कटहल के पौधे के तने को बीच में से काटकर उसके अंदर लगभग तीन इंच का चीरा लगाना है। कटिंग को पेना करके चीरा लगे हुए तने के अंदर फंसा दें। इसके बाद आपको इसके ऊपर कसकर टेप या फिर पॉलीथिन बांध देनी है। इसके बाद इसमें से जड़े निकल आती है, उन्हें काट गड्ढे में लगा दिया जाता है। 

  • रोपाई का समय एवं तरीका 

कटहल के तैयार पौधे एवं बीज से रोपाई का सही समय जून से सितम्बर का महीना होता है। कटहल के पौधे की रोपाई करने से पहले खेत को तैयार करने के लिए एक गहरी जुताई करने के बाद पाटा चलाकर भूमि को समतल कर लें। समतल भूमि पर 10 से 12 मीटर की दूरी पर 1 मीटर व्यास एवं 1 मीटर गहराई के गड्ढे तैयार करें। इन सभी गड्ढों में 20 से 25 किलोग्राम गोबर की सड़ी खाद अथवा कम्पोस्ट, 250 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट, 500 म्युरियेट आफ पोटाश, 1 किलोग्राम नीम की खल्ली तथा 10 ग्राम थाइमेट को मिट्टी में अच्छी प्रकार से मिलाकर भर देना चाहिए। इसके बाद इन गड्ढ़ों में तैयार पौधे की रोपाई कर उंगली से मिट्टी को दबा दें।

  • पौधे की देखभाल 

सिंचाई - कटहल के पौधों को अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती हैं। इसके पौधों की रोपाई के तुरंत बाद इसकी पहली सिंचाई कर लेनी चाहिए। इसके बाद गर्मियों के मौसम में इसे 15 से 20 दिन के अंतराल में जब पौधे के आसपास की भूमि अधिक सूखी दिखाई दें, तो पौधे की सिंचाई कर लेनी चाहिए। इसके बाद इसे दो से तीन और सिंचाई की आवश्यकता होती हैं। यदि बारिश का मौसम है, तो इसके पौधों को जरूरत पड़ने पर पानी देना चाहिए। ध्यान रहें जब पौध पर फूल आना शुरू हो जाएं, तो इस दौरान सिंचाई नहीं करें। 

  • खरपतवार नियंत्रण - कटहल की बागवानी को निराई-गुड़ाई करके साफ रखना चाहिए। इसके पौधों को अधिक खरपतवार नियंत्रण की आवश्यकता नहीं होती हैं। किन्तु समय-समय पर खेत में खरपतवार दिखाई देने पर उसकी प्राकृतिक विधि द्वारा निराई-गुड़ाई कर खरपतवार नियंत्रण करना चाहिए।
  • कीट एवं रोग - कटहल के पेड़ में रोग तथा कीट का प्रकोप बहुत कम होता हैं। क्योंकि यह उष्णकटिबंधीय जलवायु का पौधा हैं। इसके पौधे के अन्दर औषधीय गुण पाये जाते हैं। जिस वहज से इनमें रोग एवं कीट का प्रकोप ना के बराबर देखने को मिलता है। लेकिन इसमें लगने वाले कीट एवं रोग और इनकी रोकथाम की जानकारी नीचे दी जा रही है।
  • फल सड़न (गलन) रोग - इस रोग के नियंत्रण के लिए डाइथेन एम - 45 के 2 ग्राम प्रति लीटर में घोलकर 15 दिनों के अंतराल पर 2 से 3 छिड़काव करना चाहिए। 
  • बग रोग - इस रोग के नियंत्रण के लिए मैलाथियान की 0.5 प्रतिशत की मात्रा का छिड़काव करना चाहिए।
  • गुलाबी धब्बा - इस रोग के नियंत्रण के लिए कटहल के पौधों पर कॉपर ऑक्सीक्लोराइड या ब्लू कॉपर का घोल बना कर उचित मात्रा में छिड़काव करना चाहिए।

प्रमुख कीट

  • मिली बैग - इसकी रोकथाम के लिए मई से जून में खेत की जुताई कर देनी चाहिए। 
  • तना छेदक - इसके नियंत्रण के लिए पौधों के तना एवं डाली पर जहाँ छेद नजर आयें उसे केरोसिन तेल में रुई भिगोकर भर दें और छेद के मुह को मिट्टी से भर दें।

कटहल से पैदावार एवं होने वाला लाभ

कटहल का पेड़ रोपाई के बाद तीन से चार साल बाद पैदावार देना आरंभ कर देता है। वहीं बीज द्वारा की गई रोपाई वाला पौधा कम से कम 7 से 8 साल बाद फल देना आरंभ कर देता हैं। कटहल के पेड़ पर 12 साल तक अच्छी मात्रा में फल आते हैं, इसके बाद यह फलों की मात्रा कम कर देता है और जैसे-जैसे पेड़ पुराना होने लगता है पेड़ पर फलों की संख्या कम होने लगती है। कटहल के एक हेक्टेयर के खेत में तकरीबन 150 पौधों को लगाया जा सकता है। जिससे एक वर्ष में एक पौधे से तकरीबन 500 से 1000 किलोग्राम की पैदावार प्राप्त हो जाती है। इस हिसाब से किसान भाई कटहल की एक वर्ष की पैदावार से करीब तीन से चार लाख की कमाई आसानी से कर सकते हैं।

Disclaimer

कृषक ग्राम वेबसाइट में प्रसारित व उपलब्ध की गई सभी जानकारियां यानि आलेख, वीडियो, ऑडियो की सामग्री विषय विशेषज्ञों द्वारा प्राप्त की गई है इसके लिये संपादक की सहमति या सम्मति अनिवार्य नहीं है। इसके प्रसारण में संपूर्ण सावधानियां बढ़ती गई हैं फिर भी भूलवश यदि कोई त्रुटि हो इसके लिए किसी भी प्रकार का दावा स्वीकार नहीं किया जाएगा। सभी से यह निवेदन किया जाता है कि वेबसाइट में दी गई किसी भी सामग्री के उपयोग से पूर्व एक बार अपने निकट के विषय वस्तु विशेषज्ञों से अवश्य परामर्श कर लें।

Copyright © 2024 Krishakgram All Rights Reserved.