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दुर्लभ दाल गड़मल की खेती करने वाले किसानों को मिला  वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन 

दुर्लभ दाल गड़मल की खेती करने वाले किसानों को मिला  वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन 

Jan 09 2025

दुर्लभ दाल गड़मल की खेती करने वाले किसानों को मिला  वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन 

 

कृषि विज्ञान केंद्र बैतूल में आयोजित हुआ कार्यक्रम 

 

बैतूल 

बैतूल जिले के दामजीपुरा क्षेत्र में उगाई जाने वाली दलहन फसल गड़मल को लेकर कृषि विज्ञान केंद्र बैतूल में कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें मुख्य रूप से राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो नई दिल्ली के वैज्ञानिकों का आमंत्रित किया गया था। कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉक्टर डीपी शर्मा संचालक विस्तार सेवाएं जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर, डॉक्टर ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह निदेशक राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो नई दिल्लीऔर उनके साथी वैज्ञानिक डॉक्टर राजकुमार गौतम, डॉ प्रवीण कुमार सिंह, डॉक्टर कुलदीप त्रिपाठी, डॉ सुनील श्री राम गोमासे विशेष रूप से उपस्थित थे कार्यक्रम के आरंभ में कृषि विज्ञान केंद्र बैतूल के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख डॉक्टर वीके वर्मा द्वारा सभी अतिथियों का शाल श्रीफल और स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया गया जिले की दुर्लभ दलहनी फसल गड़मल के महत्व को रेखांकित  किया ।संचालक विस्तार सेवाएं  डॉक्टर डीपी शर्मा द्वारा गड़मल के विस्तार और उसके फायदे को जिले एवं जिले के बाहर के कृषकों तक पहुंचाने हेतु केंद्र को दिशा निर्देश दिए गए । मुख्य अतिथि डॉक्टर ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह द्वारा राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो नई दिल्ली की भूमिका को रेखांकित करते हुए गड़मल फसल को राष्ट्रीय पहचान और आदिवासी  कृषकों को सुनिश्चित आर्थिक लाभ दिलाने में आवश्यक सहयोग करने का आश्वासन दिया। वैज्ञानिक डॉक्टर कुलदीप त्रिपाठी पिछले 3 वर्षों से इस फसल के ऊपर सघन अनुसंधान कर रहे हैं उन्होंने अनुसंधान के अभी तक के परिणामों पर जानकारी देते हुए बताया कि गड़मल वैश्विक रूप से पूर्णतः अलग और सिर्फ बैतूल जिले के दामजीपुरा क्षेत्र में ही हो रही है। डॉक्टर त्रिपाठी ने इस फसल में लगने वाले रोग पीला मोजेक लिए प्रतिरोधी प्रजाति के बीज की उपलब्धता शीघ्र ही करवाने का भरोसा दिलाया। ग्राम दुलारिया के सरपंच अनिल कुमार उनके ने कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के तकनीकी परामर्श की सराहना करते हुए कहा कि केंद्र से जुड़कर उनको गड़मल उत्पादन तकनीक के अलावा दूसरी फसलों और कृषि से संबंधित अन्य कार्यों में भी फायदा हुआ है। केंद्र के वैज्ञानिक डॉ आर डी बारपेटे एवं डॉ मेघा दुबे द्वारा कृषकों को गड़मल और अन्य फसल की सामूहिक तकनीक जानकारी दी गई। डॉ संजय जैन और डॉक्टर एमपी इंग्ले द्वारा गड़मल और अन्य उन्नत और प्रसंस्कृत प्रौद्योगिकी पर प्रदर्शनी भी लगाई गई थी। डॉ सुनील श्री राम गोमासे वरिष्ठ वैज्ञानिक क्षेत्रीय कार्यालय राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो अकोला महाराष्ट्र द्वारा कार्यक्रम में  आदिवासी कृषकों को जनजाति उपयोजना अंतर्गत तिरपाल आदान का वितरण करते हुए सभी का आभार प्रदर्शन किया। संचालन वैज्ञानिक डॉक्टर संजीव वर्मा द्वारा किया गयासहयोग श्री नेपाल बारस्कर रेखा तिवारी सौरभ मकवाना आदि का रहा।

 

 

 

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