बैतूल
जिले में किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए 33 बायो इनपुट रिसोर्स सेंटर (बीआरसी) खोले जाएंगे। यह पहल कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग योजना के तहत की जा रही है। जिले में बनाए गए 50 नेचुरल फार्मिंग क्लस्टर के लिए अब प्रत्येक 3 क्लस्टर पर 2 बीआरसी स्थापित किए जाएंगे। इससे किसान सीधे अपने क्षेत्र में जैविक उर्वरक, गोबर, गोमूत्र और पौधों पर आधारित बीजामृत, घनजीवामृत, जीवामृत एवं निमास्त्र्, ब्रम्हािस्त्रव सामग्री प्राप्त कर सकेंगे।
कृषि विभाग के परियोजना संचालक आत्मा डॉ. आनन्दं कुमार बडोनिया ने बताया कि जिले के विकासखंड बैतूल में 4, शाहपुर में 4, चिचोली में 3, घोडाडोंगरी में 3, आमला में 3, मुलताई में 3, प्रभात पटटन में 3, आठनेर में 3, भैसदेही में 4 और भीमपुर में 3 सेंटर खोले जाएंगे। इसके लिए स्थानीय कृषि उद्यमी, किसान उत्पाद संगठन, स्वयं सहायता समूह और प्राथमिक सेवा सहकारी समितियों को प्राथमिकता दी जाएगी। बीआरसी में किसानों को गोबर, गोमूत्र और पौधों पर आधारित जैविक सामग्री उपलब्ध होगी। इसके लिए स्थानीय गोशालाओं और समुदाय आधारित संगठनों के साथ साझेदारी भी की जाएगी। यदि क्लस्टर क्षेत्र में कोई संस्था या समूह उपलब्ध नहीं है, तो प्राकृतिक खेती करने वाले कृषि उद्यमी को चयनित किया जाएगा। इसके लिए 22 सितंबर तक आवेदन बुलाए गए है। इसके लिए संबंधित विकासखंड स्तिरीय ब्लॉजक टेक्नाईलॉजी मैनेजर से संपर्क कर अधिक जानकारी प्राप्तो कर सकते है। इसमें संस्था का पंजीयन, आधार, पैन कार्ड, सदस्यों की सूची और कम से कम दो वर्षों का प्राकृतिक खेती का विस्तृत बिजनेस प्लान देना अनिवार्य है। बिजनेस प्लान में सेंटर का स्थान, खेती की स्थिति, सेवा क्षेत्र का बाजार विश्लेषण, जैव-इनपुट की बिक्री योजना और कच्चे माल की उपलब्धता का विवरण शामिल होगा।
जैविक खेती के उत्पाद आसानी से मिलेंगे।
उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार।
स्थानीय बाजार तक पहुंच आसान।
गोबर, गोमूत्र और पौधों पर आधारित कच्चा माल उपलब्ध होगा ।
कृषक ग्राम न्यूज़ डेस्क
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